ब्रिटिश साम्राज्यवादी प्रसार : बंगाल
बंगाल की पृष्ठभूमि –
- मुगल शासक के अधीन बंगाल एक प्रांत था और बंगाल के नवाब इस पर शासन करते थे।
- बंगाल के तहत बिहार और उड़ीसा में भी आते थे।
- मुगल बादशाह बंगाल पर सूबेदार और दीवान के माध्यम से शासन करते थे।
- 1651 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने अपनी फैक्ट्री हुंगली में स्थापित की।
- बंगाल आर्थिक व भौगोलिक रूप से संपन्न प्रांत था।
- कारण – उपजाऊ
खनिज संसाधन संपन्न
समुद्र तटीय क्षेत्र
- शांति (शेष भारत सीमावर्ती युद्ध मराठा आक्रमणों और जाट विद्रोह से ग्रस्त था और उत्तरी भारत का नादिरशाह और अहमद शाह अब्दाली के आक्रमण से विनाश हो चुका था।)
- प्रमाण – ब्रिटेन को एशिया से प्राप्त होने वाली वस्तुओं में 60% बंगाल से ही जाती थी।
- 1706 से 1756 तक बंगाल ने अपने निर्यात के द्वारा लगभग 6.5 करोड़ रुपये की चांदी अर्जित की।
- बंगाल से रेशमी एवं सूती वस्त्र चीनी आदि का निर्यात हुगली बंदरगाह से किया जाता था।
- बंगाल में अंग्रेजों की संधि के कारण –
1. साम्राज्यवादी महत्वाकांक्षा की पूर्ति
2. कर्नाटक युद्ध हेतु आर्थिक सहायता
3. बुलियन की आपूर्ति हेतु
बंगाल के शासक –
मुर्शीदकुलीखान (1700-26)
- औरंगजेब द्वारा 1700 मे बंगाल का दीवान नियुक्त किया गया।
- मुगल सम्राट फकखशियर ने मुर्शीदकुली खां को 1717 में बंगाल का सूबेदार नियुक्त किया।
- मुगलबादशाह द्वारा नियुक्त किया गया अंतिम सूबेदार था।
- मुर्शीदकुली खां एक स्वतंत्र शासक था लेकिन वह मुगल बादशाह को राजस्व भेजता था।
- मुर्शीद कुली के राजस्व सुधार।
- मुर्शिदकुली खां ने छोटे जमीदारों के विरुद्ध कार्यवाही की और जागीर भूमि का एक बड़ा हिस्सा खालसा भूमि में परिवर्तित कर दिया।
- इसने बड़े जमींदारों को बनाए रखा क्योंकि वह शासनो कार्यों में सहयोग करते थे।
- उसने किसानों को ऋण की सुविधा या तकावी ऋण उपलब्ध करवाया।
- उसने अपनी राजधानी ढाका से बदलकर मुर्शिदाबाद बनाई।
- इन परिणामों के स्वरूप बंगाल का आर्थिक विकास अपने चरम पर पहुंच गया।
अलीवर्दी खान 1726-1756) –
- 1726 में मुर्शीदकुली की मृत्यु के बाद उसका दामाद शुजाउद्दीन शासक बना।
- शुजाउद्दीन की मृत्यु के बाद 1739 में सरफराज शासक बना।
- 1741 में बिहार के नवाब सूबेदार अलीवर्दी खान ने सरफराज खान को गिरिया के युद्ध में पराजित कर दिया।
- अलीवर्दी खान बंगाल का पहला नवाब था जिसने मुगल बादशाह को राजस्व देना बंद कर दिया।
सिराजुद्दौला –
- सिराजुद्दौला को अंग्रेजों और अपने संबंधियों के साथ युद्ध करना पड़ा।
- नवाब की अनुमति के बिना अंग्रेज और फ्रांसीसीयो ने चंद्रनगर और फोर्ट विलियम की किलेबंदी की।
- सिराजुद्दौला के मना करने के बाद फ्रांस ने किलेबंदी करना बंद कर दिया परंतु अंग्रेज किलेबंदी करते रहे।
- जून 1756 में सिराजुद्दौला ने फोर्ट विलियम पर हमला कर दिया।
- हलवेल ने ब्लैक हॉल घटना का जिक्र किया।
- 10 फरवरी 1757 को अलीनगर की संधि सिराजुद्दौला और क्लाइव के बीच हुई।
- यह संधि सिराजुद्दौला के लिए अपमानजनक थी और अंग्रेज अपनी महत्वाकांक्षा और साम्राज्यवाद को बढ़ाना चाहते थे।
- रॉबर्ट क्लाइव ने चंद्रनगर पर हमला किया और इस संधि का उल्लंघन किया।
- इससे प्लासी के युद्ध की पृष्ठभूमि का निर्माण हुआ।
प्लासी का युद्ध –
- प्लासी का युद्ध 23 जून 1757 को लड़ा गया।
- यह युद्ध प्लासी का मैदान पश्चिमी बंगाल में हुआ।
- यह युद्ध EIC (रॉबर्ट क्लाइव) तथा सिराज के बीच हुआ जिसमें सिराज की हार हुई।
कारण –
- EIC कंपनी की महत्वाकांक्षा बड़ी
- दस्तक का दुरूपयोग
- वुलियन की आवश्यकता
- कर्नाटक के युद्ध
- अलीनगर की संधि का टूटना
सिराज की हार के कारण –
- सिराज के खिलाफ षड्यंत्र
- सैन्य आयोग्यता
- सिराज युद्ध के मैदान से भाग गया
- रॉबर्ट क्लाइव की योग्यता
महत्व –
- कवि नवीन चंद्रसेन ने कहा – प्लासी के युद्ध के बाद बंगाल की स्थाई दुर्दशा प्रारंभ हो गई।
- सैन्य शक्ति दुर्बल हो गई।
- बंगाल के संसाधनों पर अंग्रेजो का कब्जा।
- भारत में साम्राज्यवाद पड़ गया।
बक्सर का युद्ध –
- 1757 में अंग्रेज मीर जाफर को बंगाल का नया नवाब बनाते हैं। जिसके तहत मीर जाफर अंग्रेजों को 1.70 करोड़ रू० देता है।
- 1760 में बंगाल की वित्तीय हालत कमजोर हो जाती है। क्योंकि नवाब अंग्रेजों की हालत पूरी नहीं कर पाता है।
- इस समय कोलकाता का गवर्नर वांसीटार्ट था।
- वांसीटार्ट मीर जाफ़र को हटाकर मीर कासिम को बंगाल का नवाब बना देता है।
- वांसीटार्ट ने सत्ता परिवर्तन को (जाफर से कासिम) बंगाल की क्रांति कहा है।
मीर कासिम (1700-63)
- यह अंग्रेजो की मांगों को पूरा करता है। (5 लाख रूपये)
- यह अपनी राजधानी मुर्शिदाबाद से मुंगेर को बनाता है।
- यह नौकरशाही और सेना का पुनः निर्माण करता है। तथा मुंगेर में बंदूक बनाने का कारखाना खोलता है।
- मीर कासिम द्वारा बिहार के जमीदार राम नारायण की हत्या कर दी।
- मीर कासिम ने दस्तक कर (चुंगी कर) समाप्त कर दिया।
- परिणाम – अंग्रेज और कासिम के बीच विद्वेष आ गया।
- अंग्रेज कासिम को नवाब पद से हटाना चाहते हैं। लेकिन कासिम इंकार कर देता है।
- इस वजह से उदयनाला में 1760 में छोटी सी झड़प हो जाती है। और कासिम भागकर अवध चला जाता है।
- अवध में शुजाउद्दौला द्वारा शरण दी जाती है।
- अंग्रेज बंगाल में जाफर (1763-65) में पुनः नवाब बना देते हैं।
- कासिम, शुजाउद्दौला तथा शाह आलम ने मिलकर अंग्रेजों से युद्ध करने की रणनीति बना ली।
- 22 अक्टूबर 1764 को बक्सर का युद्ध अंग्रेज (हेक्टर मुनरो) द्वारा संयुक्त सेना (मीर कासिम, शुजाउद्दौला, शाह आलम-II) के बीच हुआ जिसमें अंग्रेजों की जीत हुई।
- मीर कासिम भाग जाता है। और 1777 में मृत्यु हो जाती है।
- 12 अगस्त 1765 को इलाहाबाद की प्रथम संधि शाह आलम-II तथा रॉबर्ट क्लाइव के बीच होती है।
- इस संधि के तहत शाह आलम-II प्रथम पेंशनर नवाब बनता है।
- 16 अगस्त 1765 को इलाहाबाद की द्वितीय संधि शुजाउद्दौला और रॉबर्ट क्लाइव के बीच हुई।
- इसके तहत शुजाउद्दौला ने 50 लाख रुपये अंग्रेजों को दिए।
- चुनार का दुर्ग अंग्रेजों को दिया गया तथा वाराणसी, गाजीपुर का इलाका बलवन को दिया गया।
- नवाब के खर्चे पर एक अंग्रेज सेना अवध में रख दी गई।
- मीर जाफर की मृत्यु के बाद नज्मुद्धौला नवाब बनता है।
बंगाल में द्वैध शासन प्रणाली –
1. द्वैध शासन का अर्थ
2. रॉबर्ट क्लाइव द्वारा द्वेध प्रशासन क्यों लाया गया
3. द्वेध शासन प्रणाली का परिणाम
4. प्रणाली का अंत
5. उपनिवेशवाद का व्यापारिक चरण
1. द्वैध शासन का अर्थ –
- बक्सर के युद्ध के बाद राबर्ट क्लाइव ने मुगल बादशाह शाह आलम द्वितीय से इलाहाबाद की संधि के तहत बंगाल बिहार और उड़ीसा के दीवानी अर्थात कर वसूलने के अधिकार ले लिए।
- द्वैध शासन प्रणाली 1765 में प्रारंभ हुई जो 1772 में वारेन हेस्टिंग द्वारा खत्म की गई।
- राबर्ट क्लाइव ने अपनी कूटनीति का प्रयोग करते हुए एक नायाब सूबेदार का पद सृजित किया।
- मोहम्मद रजा खान को नायक सूबेदार नियुक्त किया गया।
2. रॉबर्ट क्लाइव द्वारा द्वैध प्रशासन क्यों लाया गया-
- सत्ता को खुले तौर पर अपने हाथों में लिए जाने से अन्य भारतीय शासक कंपनी के खिलाफ विद्रोह कर सकते थे।
- कंपनी को ब्रिटिश सरकार के हस्तक्षेप से बचाने हेतु।
- अन्य कंपनियों के विरोध से बचने हेतु।
- कंपनी के पास प्रशासनिक अनुभव और प्रशिक्षित अधिकारियों की कमी।
3. द्वैध शासन प्रणाली का परिणाम –
- बंगाल में प्रशासनिक अराजकता क्योंकि कंपनी के पास सारे अधिकार थे।
- कंपनी का उद्देश्य अधिकतम राजस्व एकत्रित करना था।