भारत के द्वीपीय प्रदेश

भारत के द्वीपीय प्रदेश –

  • भारत के द्वीपों का निर्माण ज्वालामुखी क्रिया, प्रवाल भित्ति, मूंगे की चट्टान नदियों द्वारा लाई गई मिट्टी एवं प्लेट विवर्तनिकी कारणों से हुआ है।
  • भारत के द्वीपों की कुल संख्या 247 है। जिसमें से

247 अरब सागर → 43

बंगाल की खाड़ी → 204

  • भारत के द्बीपो को दो भागों में बांटा जा सकता है –
  1. तट से दूरवर्ती द्वीप
  2. तट के निकटवर्ती द्वीप

अंडमान-निकोबार द्वीप समूह –

  • अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में 7 बड़े द्वीप एवं अनेक छोटे द्वीप शामिल है।
  • इस द्वीप समुद्र का विस्तार 6°45I उत्तरी अक्षांश से 14° उत्तरी अक्षांश तक है।
  • इस द्वीप समूह का सबसे उत्तरी द्वीप लैंडफॉल द्वीप
  • अंडमान को निकोबार से 10° उत्तरी अक्षांश रेखा द्वारा अलग किया जाता है।
  • अंडमान के प्रमुख द्वीप –
  1. उत्तरी अंडमान – इस द्वीप पर अंडमान निकोबार द्वीप समूह की सर्वोच्च पर्वत चोटी सैडल चोटी 132m. स्थित है।
  2. मध्य अंडमान
  3. दक्षिणी अंडमान – इस द्वीप पर अंडमान निकोबार द्वीप समूह की राजधानी पोर्ट ब्लीयर स्थित है।
  • पोर्ट ब्लेयर में प्रसिद्ध सेल्यूलर जेल स्थित है।
  • यहां वीर सावरकर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा स्थित है।
  • पोर्ट ब्लेयर में भारत के बड़े 13 बंदरगाहो में से एक बंदरगाह स्थित है।

छोटा अंडमान

  • दक्षिणी अंडमान व छोटा अंडमान द्वीपों के मध्य आने जाने का मार्ग डंकन पैसेज कहलाता है।
  • अंडमान निकोबार द्वीप समूह के बैरन द्वीप पर भारत का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी बेरण ज्वालामुखी स्थित है।
  • नारकोंडम द्वीप पर भारत का एक मृत ज्वालामुखी नारकोंडम ज्वालामुखी स्थित है।
  • निकोबार द्वीप समूह में तीन प्रमुख द्वीप शामिल है –
  1. कार निकोबार
  2. छोटा निकोबार
  3. महान निकोबार
  • महान निकोबार का सबसे दक्षिणी भाग पिगमेलियन पॉइंट / ला-लीचिंग पॉइंट इंदिरा पॉइंट कहलाता है। यह भारत का सबसे दक्षिणतम बिंदु है।
  • अंडमान निकोबार द्वीप समूह की प्रमुख जनजातियां –

1. महा अंडमानी 2. ओन्गो

3. जारवा 4. सेण्टेनलीज

5. निकोबारी 6. शैम्पेन

  • अंडमान निकोबार द्वीप समूह की प्रमुख फसलें – चावल, नारियल व सुपारी
  • यहां फलों का भी उत्पादन किया जाता है जिनमें- आम, केला, चीकू, अन्नानास है।

लक्ष्य द्वीप समूह –

  • 1973 में लक्कादीव, मिनिकॉय व अमीनदवी द्वीप के समूह को मिलाकर संयुक्त नाम लक्ष्यद्वीप समूह दिया गया।
  • लक्ष्यद्वीप का विस्तार 8° उत्तरी अक्षांश से 14° उत्तरी अक्षांश तक है।
  • 11° उत्तरी अक्षांश रेखा द्वारा लक्ष्यद्वीप को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है।
  • 11° के उत्तर का भाग – अमीनी द्वीप समूह
  • 11° के दक्षिण का भाग – कनानोरे द्वीप समूह
  • लक्षद्वीप की राजधानी कावारती है जो कावारत्ती द्वीप पर स्थित है।
  • लक्षद्वीप एटॉल (atoll) से निर्मित संरचना है।
  • 8° उत्तरी अक्षांश रेखा लक्ष्यद्वीप को मालदीव देश से अलग करती है।
  • लक्ष्यद्वीप की प्रमुख फसल – नारियल
  • 8° उत्तरी अक्षांश रेखा लक्ष्यद्वीप को मालदीव देश से अलग करती है।
  • 9° उत्तरी अक्षांश रेखा मिनीकॉय द्वीप को कावारती द्वीप से अलग करती है।
  • 10° उत्तरी अक्षांश रेखा अंडमान को निकोबार से अलग करती है।
  • 10° उत्तरी अक्षांश रेखा अमीनी द्वीप समूह को कन्नानोरे द्वीप समूह में विभाजित करती है यह रेखा लक्ष्यद्वीप को दो भागों में विभाजित करती है।
  • डंकन पैसेज दक्षिणी अंडमान व छोटा अंडमान के मध्य आने जाने का मार्ग है।

प्रवाल भित्ति –

  • महाद्वीपीय मग्न तटों पर सर्वाधिक रंग-बिरंगे, सर्वाधिक जैव विविधता से युक्त, चूना पत्थर (कैल्शियम कार्बोनेट) से निर्मित जीव-अजीव संरचनाओं को प्रवाल भित्ति की संज्ञा दी जाती है।
  • प्रवाल भित्ति के निर्माण हेतु आवश्यक दशाएं –
  • प्रवाल भित्ति का निर्माण केवल महाद्वीपीय मग्न तटों पर होता है क्योंकि –
  • समुद्री लहरें भोजन लाने का कार्य करती है
  • इस क्षेत्र में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया से भोजन निर्माण आसानी से होता
  • महादीपीय मग्न तटो का ढलान अत्यंत कम होने के कारण इनके मकानों का निर्माण आसानी से हो जाता है।
  • समुद्री तल का तापमान – 18°-27°C के मध्य होना चाहिए।
  • समुद्री जल की लवणता – 27-31% के मध्य होनी चाहिए।
  • नदियों के मुहाने या डेल्टा क्षेत्र में प्रवाल भित्ति का विकास नहीं होता है। क्योंकि –
  • नदियों का तीव्र प्रभाव इनके मकानों को तोड़ देता है एवं नदियों के द्वारा लाई गई मिट्टी से इनका दम घुट जाता है।
  • भारत में प्रवाल भित्ति के विकास के क्षेत्र –
  1. कच्छ की खाड़ी
  2. मन्नार की खाड़ी
  3. लक्ष्यद्वीप समूह
  4. अंडमान निकोबार द्वीप समूह
  • एटॉल – समुंद्री दीपों के चारों ओर निर्मित होने वाली प्रवाल भित्ति को एटॉल कहा जाता है इसका आकार वृत्तनुमा (रिंगनुमा) होता है।
  • मालदीव, लक्ष्यद्वीप व अंडमान निकोबार द्वीप एटॉल से निर्मित संरचना है।

ग्रेट बेरियर रीफ –

  • यह विश्व की सबसे बड़ी प्रवाल भित्ति है।
  • यह ऑस्ट्रेलिया देश के पूर्वी किनारे पर क्वीसलैंड व न्यू साउथ वेल्स प्रांत के निकट स्थित है।
  • लंबाई – 1920km / 1200 mile
  • प्रवाल भित्ति का विकास भारत में रामेश्वरम तट के निकट एवं USA के फ्लोरिडा के तट के निकट अधिक हुआ है।

अरब सागर में तट के निकटवर्ती द्वीप –

  • पिरोटन द्वीप –
  • यह कच्छ की खाड़ी में स्थित भारत का एक द्वीप है।
  • यह पेट्रोल व प्राकृतिक गैस भंडारों हेतु प्रसिद्ध है।
  • दीव –
  • यह गुजरात राज्य के जूनागढ़ तट के निकट स्थित एक केंद्र शासित प्रदेश है।
  • यह प्रसिद्ध नागोया तट स्थित है।
  • अलियाबेट व खड़ियाबेट –
  • नर्मदा व ताप्ती नदियों के मुहानों के मध्य स्थित ये द्वीप पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस के भंडारों हेतु प्रसिद्ध है।
  • बसीन द्वीप –
  • मुंबई के तट के निकट स्थित यह द्वीप पेट्रोलियम खनन हेतु प्रसिद्ध है।
  • मुंबई हाई –
  • यह मुंबई के तट के निकट स्थित भारत का सर्वप्रमुख पेट्रोलियम खनन क्षेत्र है।
  • यहां पेट्रोलियम के भंडारण हेतु जिस प्लेटफार्म का निर्माण किया उसे सागरसम्राट कहा जाता है।
  • यहां 1976 से पेट्रोलियम का खनन किया जा रहा है।

बंगाल की खाड़ी के तट के निकटवर्ती द्वीप –

  • न्यू मूर द्वीप –
  • यह द्वीप गंगा के डेल्टा क्षेत्र में स्थित है।
  • यदि द्वीप भारत व बांग्लादेश के मध्य विवादित है।
  • सागर द्वीप –
  • पश्चिमी बंगाल राज्य के तट के निकट स्थित इस द्वीप पर भारत का प्रमुख तीर्थस्थल गंगासागर स्थित है।
  • व्हीलर / कलाम द्वीप –
  • यह द्वीप उड़ीसा राज्य के भुवनेश्वर के तट के निकट स्थित है।
  • यहां APJ कलाम ने अपने जीवन का अधिकांश समय बिताया एवं पुस्तक My Journey लिखी।
  • इनकी मृत्यु के पश्चात इस द्वीप का नाम कलाम द्वीप कर दिया।
  • इस द्वीप पर पृथ्वी प्वाइंट स्थित है।
  • कलाम द्वीप भारत का मिसाइल प्रक्षेपण केंद्र है।
  • श्रीहरिकोटा द्वीप –
  • यह आंध्र प्रदेश में तमिलनाडु राज्यों के तट के निकट स्थित है।
  • यहां भारत का उपग्रह प्रक्षेपण केंद्र सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र स्थित है।
  • कच्छातिवू द्वीप –
  • यह द्वीप भारत व श्रीलंका के मध्य विवादित है।

Leave a Comment