भारत के पठार
छोटा नागपुर का पठार –
- यह पठार मुख्य रूप से झारखंड राज्य में फैला है।
- इसके अतिरिक्त इसका विस्तार उड़ीसा, छत्तीसगढ़ व बिहार राज्यो में है।
- इस पठारी क्षेत्र से सोन व दामोदर नदी व उनकी सहायक नदियां प्रवाहित होती है जिसके कारण यह पठारी क्षेत्र विभिन्न भागों में कट गया है और अनेक पहाड़ियो व पठारो का निर्माण हुआ है।
- यहां के प्रमुख पठारों में –
कोडरमा का पठार –
- यह पठार अभ्रक खनन हेतु भारत में प्रसिद्ध है।
- यहां से उत्तम किस्म के रूबी अभ्रक का खनन किया जाता है।
हजारीबाग व रांची का पठार –
- इन दोनों पठारों से कोयले व लोहे का खनन किया जाता है।
- इन पठारों में स्थित हजारीबाग व सिंहभूम स्थान लोहे के खनन हेतु प्रसिद्ध है।
- इन पठारों में कोयला खनन के प्रमुख क्षेत्र इस प्रकार हैं–
- रानीगंज (WB) – 1774 में भारत में कोयले का
सर्वप्रथम खनन यही से किया गया था - झरिया (JH) – यह भारत की सबसे बड़ी कोयले की खान है।
- बोकारो (JH) –
- करणपुरा (JH) –
- गिरडिह (JH) –
- छोटा नागपुर के पठारी क्षेत्र में झारखंड राज्य के अंतर्गत जादुगुड़ा स्थान से यूरेनियम का खनन किया जाता है।
- यहां यूरेनियम का खनन करने वाली भारत की एकमात्र सरकारी कंपनी UCIL (Uranium Coporation of India Limited)
- UCIL का मुख्यालय – जादुगुड़ा (JH)
- छोटा नागपुर के पठारी क्षेत्र में तांबा, मैग्नीज इत्यादि का खनन भी किया जाता है।
- अतः यह पठार भारत में सर्वाधिक खनिजो से सर्वाधिक संपन पठार है इसलिए इसे भारत के रूर प्रदेश के नाम से जाना जाता है।
- Note – यूरेनियम खनन हेतु राजस्थान के उदयपुर जिले का उमरडा क्षेत्र प्रसिद्ध है।
- Note – दामोदर नदी छोटा नागपुर क्षेत्र से प्रवाहित होकर पश्चिमी बंगाल राज्य में बहती है जहां यह नदी अनेक बार बाढ़ लाने का कार्य करती है इसलिए इसे बंगाल का शोक कहा जाता है।
- छोटा नागपुर के पठारी क्षेत्र में साल के वृक्षों की प्रधानता पाई जाती है।
- छोटा नागपुर के पठार में पूर्व से पश्चिम दिशा की ओर 3 पहाड़ियां स्थित हैं जिनमें – दालमा, पोरघट व राजमहल है।
- छोटा नागपुर के पठार को सर्वोच्च पर्वत चोटी – पारसनाथ (JH) है।
दक्कन का पठार –
- यह पठारी क्षेत्र मुख्य रूप से महाराष्ट्र राज्य में फैला है।
- इसके अतिरिक्त इसका विस्तार MP, छत्तीसगढ़, कर्नाटक राज्य में भी है।
- यह पठार ज्वालामुखी क्रिया के कारण निकलने वाले लावा से निर्मित हुआ है अतः यहां काली/रेगुर मिट्टी की प्रधानता है जहां कपास की खेती की जाती है इसलिए दक्कन का पठार कपास की खेती एवं सूती वस्त्र उद्योग हेतु
- भारत में प्रसिद्ध है।
- ढक्कन के पठारी क्षेत्र में गोदावरी, कृष्णा नदी व उसकी सहायक नदियों के द्वारा इसे विभिन्न भागों में काट दिया गया है जिसके अनेक पहाड़ियों का निर्माण हुआ है।
- इन पहाड़ियों का उत्तर से दक्षिण दिशा की ओर क्रम इस प्रकार है अजंता सतमाला, बालाघाट व हरिश्चंद्र है।
- हरिश्चंद्र पहाड़ी की महाराष्ट्र राज्य में स्थित कालसुबई (1646 M) पर्वत चोटी दक्कन के पठार की सर्वोच्च पर्वत चोटी है।
- दक्कन के पठारी क्षेत्र में श्रयम्बकेश्वर की पहाड़ी से गोदावरी नदी का उद्गम होता है यह नदी प्रायद्वीपीय भारत की सबसे लंबी व सबसे पवित्र नदी है इसलिए इसे दक्षिण भारत एवं प्रायद्धीपीय भारत की गंगा के नाम से जाना जाता है।
- दक्कन के पहाड़ी क्षेत्र में महाराष्ट्र राज्य की महाबलेश्वर की पहाड़ी से कृष्णा नदी का उद्गम होता है यहां पर प्रायद्धीपीय की II सबसे लंबी नदी है।
मेघालय का पठार –
- यह पठार मेघालय राज्य में फैला है।
- यह पठार प्रायद्वीपीय भारत में माल्दा गैप के द्वारा अलग है।
- यह पठार आर्दृ पठार है।
- इस पठार के अंतर्गत पूर्व से पश्चिम की ओर 3 पहाड़ियां – जयंतिया, खासी व गारो है।
- खासी की पहाड़ी ऊपरी भाग में मैच/टेबल के समान समतल है इसलिए समतल भाग पर विश्व की सर्वाधिक वर्षा प्राप्ति वाला स्थान माँसिनराम स्थित है यहां लगभग 1100-1300 cm. वर्षा होती है।
- माँसिनराम के निकट ही प्रसिद्ध स्थान चेरापूंजी स्थित है।
- कुछ वर्षों पूर्व मेघालय के पठार पर यूरेनियम की खोज की गई है।
कर्नाटक का पठार –
- यह पठार कर्नाटक राज्य में फैला एक शूष्क पठार है।
- इस पठारी क्षेत्र में स्थित बाबा बुदन की पहाड़ी लौह अयस्क के खनन हेतु प्रसिद्ध है।
- कर्नाटक के पठार में स्थित चिकमंगलूर स्थान भारत में कॉफी उत्पादन हेतु प्रसिद्ध है।
- Note – भारत में कॉफी के प्रमुख उत्पादनकर्ता
राज्य क्रमशः कर्नाटक, तमिलनाडु व केरल है।
- कॉफी की तीन प्रमुख किस्में होती है – अरेबिका, रोबस्टा, बिबेरीका।
- भारत उत्तम किस्म की अरेबिका कॉफी का अधिक उत्पादन करता है।
- प्रमुख उत्पादककर्ता राष्ट्रीय विश्व में – ब्राजील है।
- ब्राजील देश में कॉफी के बागानों को फजेण्डा कहा जाता है।
तेलंगाना का पठार –
- यह तेतेलंगाना राज्य में फैला है।
- यह एक शुष्क पठार है। लेकिन यहां जिन क्षेत्रों में गोदावरी व कृष्णा नदियों द्वारा सिंचाई की सुविधा है वहां गन्ना व तंबाकू की खेती की जाती है।
मालवा का पठार –
- यह पठार मुख्य रूप से मध्यप्रदेश राज्य में फैला है।
- इस पठारी क्षेत्र में चंबल नदी में उसकी सहायक नदी कालीसिंध व पर्वत प्रवाहित।
- इन नदियों के द्वारा इस पठारी भाग को काटकर अनेक बहिड़ो उत्खात स्थलाकृति Bad Land Topography का निर्माण किया है।
- यह एक शुष्क पठार है यहां ज्वार, बाजरा, मक्का की खेती की जाती है।
- मालवा के पठार के पूर्व दिशा में दो छोटे-छोटे पठार बुंदेलखंड व बघेलखंड है।
- यह दोनों पठार MP व UP में फैले हैं।
- Note – बीहड़ – जब मुख्य नदी व उसकी सहायक नदियों के द्वारा भूमि के अपरदन / कटाव के द्वारा जिन स्तम्भनुमा आकृति का निर्माण किया जाता है उसे बीहड़ कहा जाता है। चंबल नदी अपने बीहड़ों हेतु प्रसिद्ध है।
- यह बीहड़ डाकुओं के आश्रय स्थल के रूप में प्रयोग में किए जाते हैं। प्रसिद्ध है राज. में चंबल नदी के बीहड़ों हेतु सवाईमाधोपुर, करौली व धौलपुर जिले प्रसिद्ध है।
- इन जिलों में सर्वाधिक बीहड़ धौलपुर जिले में है।
विद्यांचल पर्वत –
- इस पर्वत का विस्तार बिहार, UP, MP, गुजरात राज्यों में है।
- यह पर्वत कमजोर लाल बलुआ पत्थर से निर्मित है इसलिए इसका अपरदन अधिक हुआ है इसलिए इसमें पर्वत चोटियों का अभाव है।
- विंध्याचल पर्वत पश्चिम से पूर्व दिशा की ओर 4 पहाड़ियों में बटा है जिनमें विंध्य, भारनेर, कैमुर, पारसनाथ है।
सतपुड़ा पर्वत –
- यह पर्वत कठोर ग्रेनाइट चट्टानों से निर्मित है इसलिए इसका अपरदन व कटाव कम हुआ है अतः इसमें अनेक पर्वत चोटियाँ पाई जाती है।
- सतपुड़ा पर्वत पश्चिम से पूर्व दिशा की ओर चार पहाड़ियों में बटा है जिनमें राजपीपला, गवालीगढ़, महादेव, मैकाल है।
- मैकाल पहाड़ियों की अमरकटंक पर्वत चोटी से सोन व नर्मदा नदियों का उद्गम होता है और यह नदियां विपरीत दिशा में प्रवाहित होती है।
- सतपुड़ा पर्वत की सर्वोच्च पर्वत चोटी मैकाल पहाड़ियों में धूपगढ़ (1350 m) है।
- धूपगढ़ के निकट ही MP एमपी का प्रसिद्ध हिल स्टेशन पचमढ़ी स्थित है।
- राजपिपला पहाड़ियों पर गुजरात का प्रसिद्ध हिल स्टेशन सापुतारा स्थित है।
- सतपुड़ा विध्यांचल पर्वतों के मध्य से नर्मदा नदी प्रवाहित होती है। सतपुड़ा पर्वत के दक्षिण दिशा से मुल्ताई की पहाड़ियों से ताप्ती नदी का उद्गम होता है।
- नर्मदा ताप्ती नदी अपने मार्ग में भ्रंश घाटी/दरार घाटी का निर्माण करती है।