भारत में पुततगाली आगमन

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भारत में पुर्तगाली आगमन –

इस समय पुर्तगाल का शासक मैनुअल प्रथम था।

पुर्तगाल का राजकुमार डॉन हेर्नारक (हेनरी द नेविगेटर) था।

इस समय भारत का सुल्तान सिकंदर लोदी था तथा विजयनगर पर नरसिंह राय द्वित्तीय (सालुव वंश) और गुजरात में        महमूद बेगड़ा का शासन था।

पुर्तगाली आगमन के कारण –

व्यापार।

अरबों व इटली के व्यापारिक एकाधिकार खत्म करना।

❖  पूर्वी व्यापार व हिंद महासागरीय व्यापार पर एकाधिकार।

एशिया के महत्वपूर्ण व्यापारिक अड़डो (फितोरिया) पर कब्जा।

समुद्र के सभी प्रवेश दीवारों पर बेस स्थापित करना।

आगमन व घटनाक्रम –

वास्कोडिगामा –

यह 20 मई 1498 को कालीकट पहुंचा कैप ऑफ गुड होप के रास्ते से।

इस समय कालीकट का शासक जमोरिन था।

इसकी सहायता गुजराती व्यापारी अहमद इष्न मजीद करता है।

अरब व्यापारियों ने पुर्तगालियों के आगमन का विरोध किया वास्कोडिगामा को काली मिर्च के       व्यापार से 60 गुना  मुनाफा  मिला।

1502 में वास्कोडिगामा दोबारा भारत आया और 1503 में कोचीन (केरल) में प्रथम फैक्ट्री           लगाई।

1524 में तीसरी बार भारत आया और 24 दिसंबर 1524 में (कोचीन) केरल में                            वास्कोडिगामा की मृत्यु हो जाती है।

फ्रोविंस्को डी अलमोडा (1505-1509) –

❖  यह प्रथम पुर्तगाली गवर्नर था।

इसने समुद्री आधिपत्य हेतु ब्लू वाटर पॉलिसी को अपनाया।

भारत में पुर्तगाली राज्य को एस्तादो द इंडिया नाम दिया।

अल्फोसो डी अल्बूकर्क (1509-1515) –

❖ इसे भारत में सामाज का वास्तविक संस्थापक कहा जाता है। क्योंकि दक्षिण-पश्चिमी समुद्री तट पर पुर्तगाल का प्रभुत्व स्थापित किया।

❖ कोचीन को इसने मुख्यालय बनाया।

❖ 1510 में बीजापुर शासक आदिलशाह से गोवा छीना।

❖  इसने सती प्रथा को प्रबंधित करने का प्रयास किया।

❖ पुर्तगाली पुरुषों को महिलाओं से विवाह करने का प्रोत्साहन किया तथा इसका समकालीन कृष्णदेवराय था।

नीनो दा कुन्हा –

❖ इसने मुख्यालय को चीन से गोवा को बनाया

❖ हुगली को केंद्र बनाकर लूटपाट की तथा इसने गुजरात के बहादुर शाह को मारा।

पुर्तगाली व्यापार –

❖ पुर्तगालियों की आय का प्रमुख साधन व्यापार और कॉंर्टेज व्यवस्था थी।

❖ यह भारत से वस्त्र तथा टाफ्टा ले जाते थे और मुसलीपट्टनम को केंद्र बनाया।

❖ पुर्तगाली मालावार व कोकण तट से काली मिर्च तथा मालाबार से अदरक हल्दी आदि ले जाते थे।

❖ भारत में आयत के रूप में सोना, चांदी, रतन आदि लाते थे।

❖ इसका प्रमुख बंदरगाह नागपट्टनम (तमिलनाडु) तथा बस्ती सैमथोन मे थी।

❖ इन्होंने कारखाना हुगली में खोला लेकिन कासिम खां ने 1632 में निकाल दिया।

पुर्तगाल पतन के कारण –

❖ अल्बूकर्क के बाद उत्तराधिकारी कमजोर व अक्षम थे।

❖ पुर्तगाली अधिकारियों को उनकी देश की सरकार द्वारा उपेक्षित किया गया।

❖ जबरदस्ती ईसाई धर्म में रूपांतरण और अंतर विवाह की नीति अपनाई।

❖ 1580 में पुर्तगाल का स्पेन के साथ विलय हो गया।

❖ भारत में डच से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ा।

पुर्तगालियों ने ब्राजील की खोज की जिससे भारत पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाये।

पुर्तगाल महत्व –

❖ ईसाई धर्म का प्रसार करना शुरू किया मध्यम ईसाई मिशनरी जैसे – सेंट फ्रांसिस जेवियर आदि।

❖मिशनरियो ने पश्चिमी तट पर स्कूल और कॉलेज स्थापित किए स्थानीय भाषा में शिक्षा प्रदान की।

❖मिशनरियो द्वारा भारतीय इतिहास और संस्कृति पर शोध जैसे फादर हैरास (सिंधु सभ्यता पर गहन अध्ययन)

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