जीन पियाजे का नैतिक विकास 1932
- द मोरल जजमेंट ऑफ द चाइल्ड नामक पुस्तक में 1932 में सिद्धांत दिया
- नैतिक विकास की 2 अवस्थाएं
- परायत नैतिकता अवस्था (नैतिक वास्तविकता / HEtronanous अवस्था / दबाव की नैतिक
अवस्था – दबाव की नैतिक अवस्था 2 – 8 वर्ष / 2 से 7 वर्ष
(i) यह नैतिक निरपक्षवाद की अवस्था है।
(ii) नैतिक नियमों को निश्चित मानता है। व अपरिवर्तनशील
मानता है।
- स्वायत्त नैतिकता की अवस्था (Autonomy) (8 से 11 वर्ष तक)
(i) तर्क संगतता व सामाजिक चेतन का विकास
(ii) यह पारस्परिक आदर व सत्योग पर आधारित है।
(iii) नियमों को नहीं मानता है।
(iv) नियमों में परिवर्तन संभव है।
(v) तार्किकता पर बल।
- संपूर्ण विकास काल में नैतिकता के तीन स्तर बताए हैं
- नैतिक यथार्थता [moral Realism]
- नैतिक समानता [Moral Equality]
- नैतिक सापेक्षिता [Moral Relativism]
गिलिगन का नैतिक विकास सिद्धांत
Book à Psychological theory and women
development 1982
- कोहल वर्ग के शिष्य है नैतिक विकास के 3 चरण बताए
- यह सिद्धांत महिला आधारित
- देखभाल आधारित
- रिश्तो की विशेषता पर आधारित है
हैविग हस्ट का नैतिक विकास का सिद्धांत
- इन्होंने 5 अवस्था बताई –
- नैतिक निरपेक्ष [A moral stage]
- आत्म केंद्रित [self Contered]
- परंपरानु कुल अवस्था [Conventional]
- विवेक हीन सचेत अवस्था [irration consociation]
- विवेकशील परोपकारीता अवस्था। [Relation Altruistic]
Nice