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11, शीत ऋतु में पश्चिमी राजस्थान में अधिक ठंड पड़ने का मुख्य कारण क्या है?
- रेतीला धरातल होना
- वन क्षेत्र का अधिक होना
- बर्फबारी होना
- अधिक वर्षा होना
व्याख्या (1)- राज्य में दिसम्बर से फरवरी के महीने में सूर्य की स्थिति | दक्षिणी गोलार्द्ध में होती है। जनवरी का महीना सर्वाधिक सर्दी वाला होता है। अधिक सर्दी पड़ने का प्रमुख कारण रेतीला धरातल है, जो कुल क्षेत्रफल के लगभग 2/3 भाग में फैला हुआ है।
12. राजस्थान में होने वाली वर्षा के लिए उत्तरदायी ग्रीष्मकालीन मानसूनी पवनें किस महासागर से आती हैं?
- प्रशांत महासागर
- हिन्द महासागर
- अटलांटिक महासागर
- आर्कटिक महासागर
व्याख्या (2)- राज्य में होने वाली वर्षा के लिए ग्रीष्मकालीन मानसूनी पवनें हिन्द महासागर से आती हैं। पवनों का प्रवाह सदैव उच्च वायदान से निम्न वायुदाब की ओर होता है।
13. राजस्थान में ‘मावठ’ द्वारा होने वाली किस फसल के लिए वरदान मानी जाती है?
- गेहूँ
- मक्का
- चावल
- बाजरा
व्याख्या (1)- राज्य में सर्दी की वर्षा को मावठ कहा जाता है। मावठ को सुनहरी बूंदों के नाम से भी जाना जाता है। सर्दी के मौसम में यह वर्षा सर्वप्रथम गंगानगर, बीकानेर, शेखावाटी तथा जैसलमेर में होती है जो गेहूँ की फसल के लिए वरदान मानी जाती है।
14. कौनसी एक ग्रहीय पवन नहीं है?
- पछुआ पवनें
- व्यापारिक पवनें
- मानसून पवनें
- ध्रुवीय पवनें
व्याख्या (4)- पृथ्वी के धरातल पर चलने वाली ध्रुवीय पवनें ग्रामीण पवनें नहीं हैं। इन्हें ध्रुवों पर चलने वाली हवाएं कहा जाता है।
15. कोपेन के जलवायु वर्गीकरण के अनुसार निम्नलिखित में से किन जिलों में BShw प्रकार की जलवायु पाई जाती है?
- बाड़मेर, जोधपुर, नागौर, सीकर
- भीलवाड़ा, नागौर, चित्तौड़गढ़, प्रतापगढ़
- झालावाड़, बाँसवाड़ा, डूंगरपुर, बारां
- जयपुर, दौसा, अलवर, भरतपुर
व्याख्या (1)- कोपेन के जलवायु वर्गीकरण के अनुसार इस प्रकार की जलवायु के अन्तर्गत बाड़मेर, जालोर, जोधपुर, नागौर, चूरू और सीकर इत्यादि शामिल हैं। इनमें वर्षा का औसत 20 से 40 सेमी तक पाया जाता है।
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