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मैदानी प्रदेश –
सतलज-यमुना-गंगा-ब्रह्मपुत्र के मैदानी प्रदेश –
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यह मैदानी प्रदेश सतलज, यमुना, गंगा, ब्रह्मपुत्र एवं इसकी सहायक नदियों के प्रवाहित क्षेत्र के अंतर्गत आता है।
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यहां इन नदियों द्वारा कंकड़-पत्थर, मिट्टी इत्यादि से अनेक उपजाऊ मैदानी भागों एवं स्थलाकृतियों का निर्माण किया है।
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भौतिक विभाजन के दृष्टिकोण से इस मैदानी प्रदेश को 6 भागों में बांटा जा सकता है।
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पंजाब हरियाणा का मैदान
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ऊपरी गंगा का मैदान
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मध्य गंगा का मैदान
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निम्न गंगा का मैदान
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असम-ब्रह्मपुत्र का मैदान
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राजस्थान-गुजरात का मैदान
पंजाब-हरियाणा का मैदान –
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यह मैदानी भाग पंजाब व हरियाणा राज्य में पांच नदियों के क्षेत्र में विस्तृत है।
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यहां झेलम, चिनाब, रावी, व्यास, सतलज नदियों के द्वारा अनेक उपजाऊ मैदानी भागों का निर्माण किया गया है।
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दो नदियों के मध्य का उपजाऊ मैदानी भाग दोआब कहलाता है उसी प्रकार पांच नदियों के मध्य का उपजाऊ मैदान भाग पंजाब कहलाता है।
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पंजाब के दो आब निम्न है –
सिंधु सिंध सागर
झेलम
चिनाब चाझ
रावी रिचना
व्यास बारी
सतलज बिस्त
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बेट – पंजाब हरियाणा के मैदानी भागों में नदियों से निर्मित बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र को बेट कहा जाता है।
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चो – पंजाब हरियाणा के मैदानी भागों में अपरदन / कटाव से निर्मित भूमि पर निर्मित होने वाले छोटे-छोटे गड्ढों को चो कहा जाता है।
ऊपरी मध्य निम्न गंगा के मैदान –
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इस मैदानी भाग में गंगा-यमुना व उसकी सहायक नदियों के द्वारा मिट्टी एवं कंकड़-पत्थर से अनेक स्थलाकृतियों का निर्माण हुआ है।
भावर –
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भावर वह क्षेत्र है जहां हिमालय तथा गंगा के मैदानी भाग आपस में एक दूसरे से मिलते हैं।
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यहां छोटे-बड़े कंकड़ पत्थरो का जमाव पाया जाता है।
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इस क्षेत्र में नदियां प्राय: विलुप्त सी हो जाती हैं।
तराई –
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भाबर के दक्षिण दिशा में एक पट्टी के रूप में मिट्टी व जल के मिलने से निर्मित दलदलनुमा क्षेत्र तराई कहलाता है।
बांगर –
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नदी में जल की मात्रा अधिक आने या बाढ़ आने के कारण नदी के दूरवर्ती क्षेत्र में जिस पुरानी जलोढ़क मिट्टी का जमाव हो जाता है उसे बांगर कहा जाता है।
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यह मिट्टी कृषि कार्य हेतु उपजाऊ मानी जाती है।
खादर –
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नदी के निकटवर्ती क्षेत्र में नदी की लहरों के प्रभाव के कारण जिस नवीन जलोढ़क मिट्टी का जमाव हो जाता है उसे खादर कहा जाता है।
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यह मिट्टी भी कृषि कार्य हेतु उपजाऊ मानी जाती है।
भूड़ –
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बांगर क्षेत्र में छोटे-छोटे कंकड़ पत्थरों के जमाव को भूड़ कहा जाता है।
रेह –
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बांगर क्षेत्र में जल के सूखने के पश्चात मिट्टी के ऊपर जिस सफेद नमकीन परत का जमाव हो जाता है उसे रेह कहा जाता है।
गोखुर झील –
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नदी में जल की मात्रा अधिक आने या बाढ़ आने के कारण नदी अपने मोड़ दार मार्ग को छोड़कर सीधी गमन कर जाती है तब नदी के निकटवर्ती क्षेत्र में गाय के खुर के समान जिस झील का निर्माण हो जाता है उसे गोखुर झील कहा जाता है।
डेल्टा –
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नदी समुद्र में गिरने से पूर्व तटीय क्षेत्र में विभिन्न छोटी-छोटी शाखाओं में बट जाती है जिसका आकार गणितीय आकृति त्रिभुज के समान होता है उसे डेल्टा कहा जाता है।
असम-ब्रह्मपुत्र का मैदान –
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यह मैदानी भाग हिमालय व मेघालय के पठार के मध्य स्थित एक संकड़ा या पतला मैदानी भाग है।
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इसका विस्तार मुख्य रूप से असम राज्य में है।
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यहां ब्रह्मपुत्र नदी अनेक बार बाढ़ लाने का कार्य करती है।
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इस मैदानी भाग में ब्रह्मपुत्र नदी द्वारा अनेक नदियां द्वीपों का निर्माण किया गया है जिनमें असम राज्य का माजुली द्धीप विश्व का सबसे बड़ा नदी द्वीप है।
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ब्रह्मपुत्र नदी इस मैदानी भाग के निकट टेढ़े-मेढ़े मार्ग में बहते हुए भूमि के कटाव के फलस्वरूप गार्ज का निर्माण करती है।