विकास के विभिन्न आयाम/अवस्थाएँ

 

 

विकास के विभिन्न आयाम/अवस्थाएँ

  • Contents

    रॉस के अनुसार-विकास की 4 अवस्थाएं हैं –

  1. शैशवावस्था – जन्म से 3 वर्ष तक
  2. पूर्व बाल्यावस्था – 3 से 6 वर्ष तक
  3. उत्तर बाल्यावस्था – 6 से 12 वर्ष तक
  4. किशोरावस्था – 12 से 18 वर्ष तक
  • सैले के अनुसार –
  1. शैशवावस्था – जन्म से 5 वर्ष तक
  2. बाल्यावस्था – 5 से 12 वर्ष तक
  3. किशोरावस्था – 12 से 18 वर्ष तक
  • ई.बी. हरलॉक के अनुसार –

  1. गर्भावस्था – गर्भधारण से जन्म तक
  2. शैशवावस्था – जन्म से 2 सप्ताह/14 दिन तक
  3. बचपनावस्था – 14 दिन – 2 वर्ष तक
  4. पूर्व बाल्यावस्था – 3 वर्ष-6 वर्ष तक
  5. उत्तर बाल्यावस्था – 7 वर्ष से 12 वर्ष तक
  6. वय:संधि – 12 वर्ष से 14 वर्ष तक
  7. पूर्व किशोरावस्था – 13-14 वर्ष से 17 वर्ष तक
  8. उत्तर किशोरावस्था – 18 से 21 वर्ष तक
  9. प्रौढ़ावस्था – 21 से 40 वर्ष तक
  10. मध्यावस्था – 41 से 60 वर्ष तक
  11. वृद्धावस्था – 60 वर्ष के बाद 
  • कोल के अनुसार –

  1. शैशवावस्था जन्म से 2 वर्ष तक
  2. प्रारम्भिक बाल्यावस्था 2 से 5 वर्ष
  3. मध्य – बाल्यावस्था बालक 6 से 12 वर्ष

बालिका 6 से 10 वर्ष

  1. पूर्व-किशोरावस्था या बालक 13 से 14 वर्ष

उत्तर- बाल्यावस्था बालिका 11 से 12 वर्ष

  1. प्रारम्भिक किशोरावस्था बालक 15 से 16 वर्ष

बालिका 12 से 14 वर्ष 

  1. मध्य-किशोरावस्था बालक 17 से 18 वर्ष

बालिका 15 से 17 वर्ष

 

  1. उत्तर-किशोरावस्था बालक 19 से 20 वर्ष

बालिका 18 से 20 वर्ष

  1. प्रारम्भिक प्रौढ़ावस्था 21 से 34 वर्ष
  2. मध्य-प्रौढ़ावस्था 35 से 49 वर्ष
  3. उत्तर-प्रौढ़ावस्था 50 से 64 वर्ष
  4. प्रारम्भिक वृद्धावस्था 65 से 74 वर्ष
  5. वृद्धावस्था 75 वर्ष से आगे
  • डॉ. अरनेस्ट व जॉन्स के अनुसार – बालक का विकास चार अवस्थाओं में होता है –

  1. शैशवावस्था – जन्म से 6 वर्ष
  2. बाल्यावस्था – 7 से 12 वर्ष
  3. किशोरावस्था – 13 से 18 वर्ष
  4. प्रौढ़ावस्था – 18 वर्ष के बाद

सामान्य वर्गीकरण

  1. गर्भावस्था (गर्भ धारण से जन्म तक)
  2. शैशवावस्था (0-5 वर्ष)
  3. बाल्यावस्था (6-12 वर्ष )
  4. किशोरावस्था (13-18 वर्ष)
  5. प्रौढ़ावस्था (19 वर्ष के बाद) 

गर्भावस्था

माता पिता

46 गुणसूत्र 46 गुणसूत्र

जनन कोष (माता) जनन कोष (पिता)

(23 गुणसूत्र) (23 गुणसूत्र)

(अर्दृकोशिका) (अर्दृकोशिका)

WhatsApp Image 2022-01-26 at 6.44.03 PM.jpegZygote यूक्ता योक – पूर्ण कोशिका संयुक्त कोष भी कहते हैं

 

एक पूर्ण कोशिका से जीवन आरंभ हो जाता है –

  • सर्वप्रथम गर्भधारण के समय माता पिता की ओर से 23 – 23 गुणसूत्र वाली संरचना जो जनन कोष या अर्दृकोशिका कहा जाता है। सहयोग करती है।
  • माता की ओर से आने वाली अर्दृकोशिका – मातृ कोष
  • पिता की ओर से आने वाली अर्दृकोशिका – पितृ कोष
  • यह अर्ध कोशिका संयुक्त कोष बनाती है। युक्ता / योक कहा जाता है यह एक पूर्ण कोशिका होती है।
  • यह सुई के नोक के आकार की है।
  • मनुष्य जीवन की शुरुआत Zygot से होती है।
  • गर्भधारण में सबसे पहले बीज (शुक्राणु) अण्डाणु में प्रवेश करता है एवं युक्ता नामक आकृति बनती है।
  • युक्ता – में अण्डाणु में बीज उसके आवरण में सुरक्षित रहता है।
  • बीज को योक नामक पदार्थ से पोषण मिलता है जो अंडे की दीवार से एक तरल पदार्थ के रूप में स्त्रावित होता है।
  • लगभग 15 दिन बीज इसी अवस्था में रहता है एवं विकसित होता है जिसे “बीजावस्था” कहते हैं।
  • 16 दिन अंडा फूट जाता है। एवं भूण के रूप में बाहर निकलता है।
  • भ्रुण अपरा / नाल / प्लेसेन्टा नामक आकृति के सहयोग से गर्भ की दीवार से चिपक जाता है एवं गर्भ की दीवार के सहारे तेजी से चक्कर लगाते हैं 2 माह तक इसका आकार भी बढ़ता है।
  • 2 माह के बाद इसके अंग निकलना शुरू होते हैं।
  • सबसे पहले सिर का निर्माण होता है।
  • यह अवस्था भ्रूणावस्था / पिण्डावस्था / Embryonic
  • 2 सप्ताह से 2 माह तक (stage) कहते हैं।
  • शिशु का विकास सर्वाधिक तीप्र होता है।
  • इसी अवस्था में श्वसन नली फेफड़े आदि बनते हैं।

इस अवस्था में तीन परते पाई जाती हैं

बर्हिस्तर मथ्यस्तर अन्तस्तर

(Ectoderm) (mesoderm) (Endoderm)

बाहरी परत कहते हैं मध्य परत भीतर की परत

इसमें त्वचा बाल हृदय लीवर

नाखून दांत मांसपेशी हृदय, मस्तिष्क का

आते हैं लीवर मस्तिष्क अंदर का भाग

ऊपर का भाग

  • गर्भकाल में 6 से 9 के बीच शिशु पूर्ण परिपक्वता को प्राप्त कर लेता एवं लगभग 280 बालक का जन्म होता है।
  • गर्भधारण में प्रोजेस्टोन जिम्मेदार होता है।
  • जैसे शिशु परिपक्व होता है वैसे ही आक्सीटॉनिक हामेनि स्त्रावित होता है जो गर्भ की दीवार में संकुचन पैदा करता है प्लेसेंटा का संपर्क टूट जाता है बालक के जन्म की अवस्था बनती है।
  • गर्भकाल के 5 वे महा में दांत निकलते हैं।
  • गर्भकाल 330 दिन ज्यादा

180 दिन कम

गर्भावस्था को प्रभावित करने वाले कारक

  1. माता का स्वास्थ्य
  2. माता का आहार
  3. आयु
  4. स्त्री का धूम्रपान करना

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