तमाशा → (जयपुर)
- सवाई प्रताप सिंह के काल में प्रारंभ
- प्रवर्तक – बंशीधर भट्ट
- जयपुरी ख्याल + ध्रुपद गायन शैली का मिश्रण
- नाट्यस्थल, रंगमंच, अखाड़ा
- यह लोकनाट्य दिन में प्रदर्शित होता है।
- इस नाट्य में महिलाओं की भूमिक महिलाएं निभाती हैं।
- प्रमुख वाद्ययंत्र – हारमोनियम, तबला, नगाड़ा
- प्रमुख महिला कलाकार – गौहरा जान
- तमाशा में उस्ताद कला फूलजी भट्टी ने प्रारंभ की
प्रमुख तमाशा –
- हीर रांझा (धूलण्डी)
- जोगी – जोगन तमाशा (होली)
- गोपीचंद का तमाशा
चैत्र अमावस्या
घैलपणिहारी तमाशा
- झूढ़न मियां का तमाशा – शीतलाष्टमी
- मानसिंह-I के काल में 1594 ई० मे मोहन कवि द्वारा रचित तमाशा धमक मंजरी का प्रदर्शन आमेर में हुआ
प्रमुख कलाकार → बंशीधर भट्ट
→ ब्रजपाल भट्ट
→ गोपीकृष्ण भट्ट (माधौसिंह के दरवाने विद्वान)
वर्तमान कलाकार → वासुदेव भट्ट
चारबैत → (टोंक)
- पठानी काव्य शैली का लोकनाट्य (कव्वाली)
- नवाब फैजुल खान के समय प्रारंभ
- प्रर्वतक – अब्दुल करीम खान, खलीफा खान निहंग
- प्रमुख वाद्य यंत्र – उफ
- बुश्त भाषा में लिखी 4 पंक्तियों के वाचन के कारण – चारबैत
नौटंकी –
9 प्रयोग के वाद्य यंत्रों के प्रयोग के कारण इसे नौटंकी कहा गया –
1. सारंगी 2. शहनाई 3. डफली
4. ढोलक 5 चिकारा 6. हारमोनियम
7. नगाड़ा 8. चंग 9. मद्दा
- भारत में इस कला का जन्म हाथरस (यूपी) से ही
जनक – नत्थराम शर्मा
- राजस्थान में जनक – भुरीलाल (डींग – भरतपुर)
- राजस्थान में प्रसिद्ध – भरतपुर, करौली, सवाई माधोपुर, धौलपुर है।
- हाथरस शैली की नौटंकी – भरतपुर
- सजन शैली की नौटंकी – करौली
- नौटंकी संगीत दंगल का रूप है।
- प्रमुख कलाकार – कामा, गिर्राजप्रसाद, किशोर
- महिला कलाकार – गुलाबबाई, कृष्णा
- अन्य कलाकार – लादूराम, कल्याणसिंह, बद्रीसिंह, लच्छी
- प्रमुख नौटंकिया – भक्त पूर्णमल, हरिश्चंद्र, लैला मजनू, सत्यवान सावित्री, कामदेव, माधवलाल
बहरूपिया –
- लोकनाट्य राजस्थान में प्रसिद्ध → भीलवाड़ा
- प्रवर्तक →जानकीलाल भांड – लंदन में इसका प्रदर्शन
मंकी मैन
- प्रसिद्ध कलाकार → परशुराम – केलवा (उदयपुर)
- प्रमुख बहरूपिया → गुरु चेला, अर्धनारीश्वर, सेठ सेठानी, देवर भाभी
- बहरूपिया कला का कलाकार → हस्तनाभ कहलाता है।
- यह कला मुख्यतः फाल्गुन मास में आयोजित होती है।
- मुख्यतः मेवाड़ क्षेत्र में इसका सर्वाधिक प्रचलन
रामलीला
- प्रसिद्ध – बिसाऊ (झुंझुनू)
जुरहुरा (भरतपुर)
- रामायण के आधार पर अभिनय किया जाने वाला नाट्य
- गोस्वामी तुलसीदास जी ने इसे प्रसिद्ध किया
रासलीला –
- मुख्यतः शरद पूर्णिमा को आयोजित
- प्रवर्तक – हित हरिवंश
- प्रसिद्ध – फुलेरा (जयपुर), नाथद्वारा
- वल्लभ संप्रदाय से संबंधित / भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का वर्णन
- प्रमुख कलाकार – मोहनदास, शिवदास, रामस्वरूप गोस्वामी. हरिदास।
रसधारी
- प्रसिद्ध मेवाड़ भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का वर्णन
- रस गीतों के माध्यम से चौराहों पर आयोजित
- प्रवर्तक – मोतीलाल जाट
- प्रमुख कलाकार – हरिश्चंद्र, मोरध्वज, नागाजी
- महिला कलाकार – संगीता स्वामी
ख्याल
- शाब्दिक अर्थ – खेल
- मन में उत्पन्न विचार, रचनाओं को प्रदर्शित करना
- उद्गम 18वीं सदी में माना जाता है।
- ख्याल का सूत्रधार हलकारा कहलाता है।
- शामिल पत्र – खिलाड़ी
- मुखिया – उस्ताद
- दल – अखाडा
- किशनगढ़ी ख्याल – किशनगढ़
प्रवर्तक – बंशीधर शर्मा
- माच ख्याल – मारवाड़
प्रवर्तक – बगसुराम
- ढफाली ख्याल – भरतपुर, माधौपुर
- बीकानेरी ख्याल – बीकानेर (मोतीलाल)
- गोपीचंद व अमरसिंह राठौर की ख्याल प्रसिद्ध है।
- जयपुरी ख्याल – जयपुर
रूठिवाद से प्रभावित नहीं है
- स्त्रियों की भूमिका स्त्रिया ही निभाती है।