बालक का नैतिक विकास
बालक का नैतिक विकास
- सैमुअल स्माईल – चरित्र आदतों का पुंज है।
- डमविल – चरित्र सभी प्रवृत्तियों का योग है जो व्यक्ति में पाई जाती है।
- मैक्डुगल – चरित्र स्थाई भागों की व्यवस्था है।
शैश्ववस्था
- नैतिकता का अभाव / निरपेक्ष
- नैतिकता को परिणाम के आधार पर परिभाषित करता है।
- 2 – 6 वर्ष पूर्व बाल्यावस्था में नैतिक विकास शुरू होता है।
- 2 वर्ष का बालक अच्छे व बुरे बालक में अंतर करता है।
- 4 वर्ष का बालक अच्छे व बुरे काम में अंतर।
बाल्यावस्था
- नैतिक विकास सर्वाधिक होता है।
- नैतिक अवधारणा का निर्माण
न्याय विवेक एवं ईमानदारी जैसे गुणों का विकास
[स्ट्रेंग के अनुसार]
- नैतिक सापेक्षता का प्रारंभ है।
किशोरावस्था
- पैक एवं हैविगर्हस्ट – नैतिक सिद्धांतों का निर्माण तथा उसके आधार पर कार्यों का मूल्यांकन
- नैतिक संहिता का निर्माण होता है।
- मानव धर्म का समर्थक (मेडिनस)
- आदर्श व्यक्ति की कल्पना। बनने की कोशिश
- प्रतीक सिद्धांतों की तुलना
- अन्तः करण / कर्तव्य के आधार पर नैतिकता का पालन
प्रभावित करने वाले कारण
- सवेग परिवार विद्यालय
- मूल प्रवृत्तियां वंशानुक्रम शिक्षक
- आदतें वातावरण शिक्षक
- स्थाई भाव लिंग सिनेमा साहित्य
- सक्निर – पुर्नबलन
- फ्रायड़ – Super Ego नैतिक कमांडर
- बाण्डुरा – प्रेक्षण
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