राजस्थान के पशु पालन और डेयरी उद्योग के प्रश्न उत्तर Top 50 Rajasthan Ke Pashu Paalan aur Deyaree Udyog Ke Questions and Answers

Contents

11. कड़कनाथ योजना का संबंध किससे है?

  1. मत्स्य पालन से
  2. कुक्कुट पालन से
  3. खरगोश पालन से
  4. भेड़ पालन से

व्याख्या (2)- कड़कनाथ परियोजना राज्य में जनजातियों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए 2008 में बाँसवाड़ा जिले में प्रारम्भ की गई थी। इस कार्यक्रम के अंतर्गत चयनित परिवार को 50 कड़कनाथ प्रजाति के मुर्गे प्रदान किए जाते हैं।

12. राजस्थान में कुक्कुट पालन प्रशिक्षण संस्थान कहाँ स्थित है?

  1. अलवर
  2. अजमेर
  3. कोटा
  4. टोंक

व्याख्या (2)- राजकीय कुक्कुट प्रशिक्षण संस्थान अजमेर में स्थित है। मुर्गियों की संख्यानुसार राजस्थान का देश में 18वाँ स्थान है। राज्य में सर्वाधिक मुर्गियाँ अजमेर जिले में तथा न्यूनतम मुर्गियाँ करौली जिले में हैं।

13. निजी क्षेत्र में राज्य का पहला पशु विज्ञान व चिकित्सा महाविद्यालय ‘अपोलो कॉलेज ऑफ वेटरनरी मेडिसिन’ कहाँ स्थापित किया गया है?

  1. जोधपुर
  2. जयपुर
  3. उदयपुर
  4. जैसलमेर

व्याख्या (2)- निजी क्षेत्र का पहला पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान महाविद्यालय अपोलो कॉलेज ऑफ वेटरनरी मेडिसिन’ जयपुर में स्थापित किया गया है।

14. राजस्थान में ऊँट के बीमार होने पर किस देवता की पूजा की जाती है?

  1. गोगाजी
  2. तेजाजी
  3. पाबूजी
  4. केसरिया कुँवर

व्याख्या (3)- राजस्थान में ऊँट को रेगिस्तान का जहाज कहा जाता है। कई बार ऊँट बीमार होने पर पाबूजी की पूजा की जाती है। लोकदेवता पाबूजी ऊँटों को बीमारियों से बचाने वाले देवता माने जाते हैं। वैसे पशु अस्पताल भी हर जगह खोले जा चुके हैं, जहाँ पशुओं का हर प्रकार का इलाज होता है।

15.राजस्थान में ऊँट के बीमार होने पर किस देवता की पूजा की जाती है?

  1. गोगाजी
  2. तेजाजी
  3. पाबूजी
  4. केसरिया कुँवर

व्याख्या (3)- राजस्थान में ऊँट को रेगिस्तान का जहाज कहा जाता है। कई बार ऊँट बीमार होने पर पाबूजी की पूजा की जाती है। लोकदेवता पाबूजी ऊँटों को बीमारियों से बचाने वाले देवता माने जाते हैं। वैसे पशु अस्पताल भी हर जगह खोले जा चुके हैं, जहाँ पशुओं का हर प्रकार का इलाज होता है।

16, राजस्थान राज्य सहकारी डेयरी फेडरेशन का प्रमुख उद्देश्य है?

  1. (1) पशु नस्ल संवर्द्धन
  2. पशुपालकों को लघु अवधि ऋण उपलब्ध करवाना
  3. दुग्ध उत्पादकों को उचित मूल्य प्रान करना एवं दुग्ध उत्पादों के वितरण में सांमजस्य स्थापित करना
  4. कृत्रिम दुग्ध उत्पादन

व्याख्या (3)- राज्य के ग्रामीण दुग्ध उत्पादकों को उचित मूल्य दिलवाने तथा उपभोक्ताओं को शुद्ध एवं स्वास्थ्यकारी दुग्ध एवं दुग्ध पदार्थ उचित मूल्य पर उपलब्ध कराने हेतु डेयरी सहभागिता की त्रिस्तरीय व्यवस्था की गई है। इसमें राज्य स्तर पर जिला दुग्ध उत्पादक संघ तथा ग्रामीण स्तर पर प्राथमिक दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ कार्यरत हैं।

17. दुग्ध उत्पादन हेतु गाय को प्रसिद्ध नस्लें हैं?

  1. (1) थारपारकर एवं राठी
  2. राठी एवं नागौरी
  3. मालवी एवं थारपारकर
  4. मेवाती एवं मालवी

व्याख्या (1)- राज्य में दुग्ध उत्पादन हेतु गाय की प्रसिद्ध नस्लें थारपारकर एवं राठी हैं। यह प्रदेश में बाड़मे, गंगानगर, बीकानेर तथा जैसलमेर में पाई जाती है। थारपारकर गाय प्रतिदिन 25-40 पौण्ड दूध देती है वहीं राठी गाय कम आहार से अधिक दूध देती है।

18. केन्द्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान स्थापित है?

  1. बीकानेर
  2. जसोल
  3. अविकानगर
  4. जैसलमेर

व्याख्या (3)- केन्द्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान केन्द्र अविकानगर (टोंक) में स्थित है। इस केन्द्र की स्थापना भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् द्वारा 1962 में की गई थी। इसका मरु क्षेत्रीय उपकेन्द्र बीछवाल (बीकानेर) में स्थित है।

19.राजस्थान में भैंस अनुसंधान एवं प्रजनन केन्द्र कहाँ स्थापित किया गया है?

  1. 1) वल्लभनगर (उदयपुर) में
  2. फलौदी (जोधपुर) में
  3. लूणकरणसर (बीकानेर) में
  4. इनमें से कोई नहीं

व्याख्या (1)- राज्य में भैंस प्रजाति में नस्ल सुधार हेतु भैंस प्रजनन केन्द्र | बल्लभनगर में कार्यरत है। 2012 की पशुगणना के अनुसार राज्य में भैंसों की संख्या 129.76 लाख है। सर्वाधिक भैंसें जयपुर जिले में पाई जाती हैं। मुर्रा नस्ल की भैंस का प्रजनन केन्द्र कुम्हेर (भरतपुर) में स्थापित किया गया है।

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