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21. राज्य के किस क्षेत्र में दैनिक तापान्तर अधिक रहता है? .
- पश्चिमी क्षेत्र
- पूर्वी क्षेत्र
- दक्षिणी क्षेत्र
- दक्षिणी पूर्वी क्षेत्र
व्याख्या (1)- राज्य के पश्चिमी भाग में दैनिक तापान्तर अधिक रहता है।। यहां दिन का तापमान 44 डिग्री सेंटीग्रेड तथा रात का तापमान 3 डिग्री सेंटीग्रेड तक चला जाता है क्योंकि बालुका मिट्टी के कण मोटे होने के कारण ताप को जल्दी सोख लेते हैं तथा शीघ्रता से विकीर्णन भी कर देते हैं।
22. राज्य के दक्षिणी भाग में सर्वाधिक वर्षा होने का कारण है?
- अरावली पर्वत माला की ऊँचाई
- वनस्पति की सघनता
- समुद्रतट से निकटता
- मध्य भारत का क्षेत्र होना का भूगाण
व्याख्या (1)- राज्य के दक्षिणी भाग में सर्वाधिक वर्षा अरावली क्षेत्र में होती है। जहाँ पर इनकी ऊँचाई अधिक है। इसलिए मानसनी हवाओं को रोकने में सहायक होती है तथा सघन वनस्पति होने के कारण आर्द्रता में वृद्धि हो जाती है।
23. मानसून के प्रत्यावर्तन का समय है?
- अक्टूबर से नवम्बर तक
- मध्य नवम्बर से फरवरी तक
- दिसम्बर से जनवरी तक
- जून से जुलाई तक
व्याख्या (1)- सितम्बर के बाद सूर्य दक्षिण गोलार्द्ध में प्रवेश कर जाता है। इसके परिणाम स्वरूप जो वायु दाब क्षेत्र उत्तरी-पश्चिमी भारत में बना थ, वह समाप्त होने लगता है। इससे मानसून लौटना प्रारम्भ कर देता है। इससे पवन की दिशा दखिण-पश्चिमी से बदलकर उत्तर-पूर्वी हो जाती है।
24. राज्य में सर्वाधिक वर्षा होती है?
- अरब सागरीय चक्रवातों से
- भूमध्य सागरीय चक्रवातों से
- बंगाल की खाड़ी के मानसून से
- अरब सागर के मानसून से
व्याख्या (3)- राज्य में सर्वाधिक वर्षा बंगाल की खाड़ी से प्रारम्भ होने वाले दक्षिणी पूर्वी मानसून से होती है। राज्य में पहुँचने पर इनकी अधिकांश नमी समाप्त हो जाती है। फिर ये तीव्र सघन होती है जिससे पूर्वी राजस्थान एवं राज्य के अन्य भागों में वर्षा होती है।
25. राज्य में 50 से 80 सेमी. वार्षिक वर्षा वाला क्षेत्र है?
- दक्षिणी भाग
- दक्षिण पश्चिमी भाग
- पूर्वी भाग
- उत्तरी भाग
व्याख्या (3)- राज्य में 50-80 सेमी वार्षिक वर्षा वाला क्षेत्र पूर्वी भाग है। इसके अन्तर्गत जयपुर, अलवर, टोंक, भरतपुर, करौली एवं धौलपुर | इत्यादि जिले आते हैं।
26. राजस्थान को दो भागों में बांटने वाली समवर्षा रेखा है?
- 25 सेमी की
- 50 सेमी की
- 100 सेमी की
- 150 सेमी की
ख्या (2)-प्रादेशिक दष्टि से होने वाली वर्षा जो राज्य के अरावली स श्चम भाग में स्थित जिलों में वार्षिक वर्षा का औसत 50 सेमी से कम है। जब पूर्वी जिलों से 50 सेमी से 100 सेमी के मध्य रहता है।
27. राजस्थान में सर्वाधिक वार्षिक वर्षा किस स्थान पर होती है ?
- माउंट आबू
- भोराट पठार
- फलौदी
- फतेहपुर
व्याख्या (1)- राज्य में सर्वाधिक वर्षा वाला स्थान माउण्ट आबू (सिरोही) है, जहाँ औसतन वार्षिक वर्षा 100-150 सेमी रहती है। वहीं जिला स्तर पर सर्वाधिक वर्षा झालवाड़ जिले में तथा सबसे कम जैसलमेर जिले में होती है। यह क्रमशः 40 दिन और 5 दिन है।
28, शीत ऋतु में पश्चिमी राजस्थान में अधिक ठंड पड़ने का मुख्य कारण क्या है ?
- रेतीला धरातल होना
- वन क्षेत्र का अधिक होना
- बर्फबारी होना
- अधिक वर्षा होना
व्याख्या (1)- राज्य में दिसम्बर से फरवरी के महीने में सूर्य की स्थिति दक्षिणी गोलार्द्ध में होती है। जनवरी का महीना सर्वाधिक सर्दी वाला होता है। अधिक सर्दी पड़ने का प्रमुख कारण रेतीला धरातल है, जो कुल क्षेत्रफल के लगभग 2/3 भाग में फैला हुआ है।
29. राजस्थान में होने वाली वर्षा के लिए उत्तरदायी ग्रीष्मकालीन मानसूनी
- प्रशांत महासागर
- हिन्द महासागर
- अटलांटिक महासागर
- आर्कटिक महासागर
व्याख्या (2)- राज्य में होने वाली वर्षा के लिए ग्रीष्मकालीन मानसूनी पवनें हिन्द महासागर से आती हैं। पवनों का प्रवाह सदैव उच्च वायुदाब से निम्न वायुदाब की ओर होता है।
30. राजस्थान में ‘मावठ’ द्वारा होने वाली किस फसल के लिए वरदान मानी जाती है?
- गेहूँ
- मक्का
- चावल
- बाजरा
व्याख्या (1)- राज्य में सर्दी की वर्षा को मावठ कहा जाता है। मावठ को सनहरी बंदों के नाम से भी जाना जाता है। सर्दी के मौसम में यह वर्षा सर्वप्रथम गंगानगर, बीकानेर, शेखावाटी तथा जैसलमेर में होती है जो गेहूँ की फसल के लिए वरदान मानी जाती है।
31. कौनसी एक ग्रहीय पवन नहीं है ?
- (1) पछुआ पवनें
- व्यापारिक पवनें
- मानसून पवनें
- ध्रुवीय पवनें
व्याख्या (4)- पृथ्वी के धरातल पर चलने वाली ध्रुवीय पवनें ग्रामीण पवनें नहीं हैं। इन्हें ध्रुवों पर चलने वाली हवाएं कहा जाता है।
32. कोपेन के जलवायु वर्गीकरण के अनुसार निम्नलिखित में से किन जिलों में BShw प्रकार की जलवायु पाई जाती है?
- बाड़मेर, जोधपुर, नागौर, सीकर
- भीलवाड़ा, नागौर, चित्तौड़गढ़, प्रतापगढ़
- झालावाड़, बाँसवाड़ा, डूंगरपुर, बारां
- जयपुर, दौसा, अलवर, भरतपुर
व्याख्या (1)- कोपेन के जलवायु वर्गीकरण के अनुसार इस प्रकार की जलवायु के अन्तर्गत बाड़मेर, जालोर, जोधपुर, नागौर, चूरू और सीकर इत्यादि शामिल हैं। इनमें वर्षा का औसत 20 से 40 सेमी तक पाया जाता है।
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